Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Wednesday, January 11, 2012

अधूरे ख़त ...

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तुझे लिखूं तो क्या ! तेरे कितने नाम लिखूं  तू मेरा है  सिर्फ मेरा तो नहीं  तुझे क्या कहूँ  इसी उलझन में  कई ख़त  अधूरे ही  बिना नाम पता  स्...
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