Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Monday, June 6, 2011

अर्धसत्य की लाश सा अधमरा लोक(?)तंत्र

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भरे पेट गाल बजाता  भोग में डूबा है  भीड़ तंत्र  आबरू बेचता  मां  बहनों की  दलाली खाता हुवा  बेशर्म तंत्र  खून पीता  भूखी आंतो को  परोसता...
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