Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Sunday, August 15, 2010

आज

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आज सिर्फ उनको नमन करो आज बस उनकी बात करो आज शिकायते ना करो आंसू भी ना बहाओ दो फूल श्रद्धा के हाथों में उठाओं उस ध्वज पर चढाओ जो छत्र बन तना ...
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Tarun / तरुण / தருண்
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