Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Saturday, April 16, 2011

आत्ममुग्ध राष्ट्र में संविधान की ताकत

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इस संविधान को  सैकड़ो बार  आसानी से  बदला गया है  इसके  अनुच्छेदों में  छेद कर  घर बना चुके है  चूहें  कंडीकाएं अब  बस  काडी भर करती है  ...
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