Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Wednesday, June 16, 2010

आपस की बात Day 1

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दिल तो है दिल दिल तो पागल है दिल ही तो है ये दिल ना होता बेचारा आदि ना जाने कितने जुमलो से सताया दिल को फिर दिल टूट गया एक दिन तो रोना लेकर ...
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