Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Tuesday, April 27, 2010

आम का मौसम है आम चूसिये

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आम का मौसम है आम चूसिये , दो चार लेकर जेब ठुसिये क्या पता , फिर आम आम ना रहे क्योंकि एक चुनाव काफी है आम के ख़ास होने को ये डिटर्जेंट काफी ह...
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