Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Monday, March 22, 2010

इस तरह या उस तरह

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सोने पे सुहागा रख दू .. सोना चाहिए मगर तो !! तो कैसे रख दू? कहा से रख दू?? अब.. कह तो दिया , रख दू .. वो भी पत्नी से ! तो.. रखना तो पडेगा ...
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