Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Sunday, May 15, 2011

उसमे वो आग अभी बाकी है

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खबरे पढ़ कर  जी करता है  अखबार जला दू  ख़ुदकुशी कर लू  गोली ही मार दू  समाज के नासूरों को  फिर  कुछ सोच कर  रोता हूँ हँसता हूँ  मन बदल लेत...
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Tarun / तरुण / தருண்
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