Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Wednesday, April 27, 2011

करवट समय की

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समय  ऊंट सा  चला जा रहा है  संवेदना रहित  निर्जन  अमानुष  शुष्क  विस्तार में  रस की  चंद बूंदों को  जहा  फंदे बनाकर  रिझाया जा रहा है ... ...
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