Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Tuesday, January 10, 2012

कागज़ की नाव है कविता

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कविता  जैसे कागज़ की नाव  समय सागर में  किनारे ढूंढ़ती सी  तैरती रहती है  नि:स्पृह ... छूती है  परम को सहज ही  नहीं छूती  समय को  या समय ही...
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