Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Monday, January 31, 2011

कागार

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आकार ले रहा था बवंडर सागर के उस पार जिसका पानी सदियों से उपेक्षित मानव अश्रुओं से कड़ुवा गया है अभी असंतोष दूर है अपनी दहलीजों से मगर नहीं ट...
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