Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Tuesday, January 25, 2011

गणतंत्र दिवस पर खिचड़ी की प्रसादी

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मैंने बचपन से सुभाष और भगत को घुट्टी में पिया है मुझे पता है तिलक ने गांधी ने इस देश के लिए क्या किया है आज उस भोगे हुवे अतीत पर रचा गया यथा...
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