Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

Showing posts with label जंगल का सलीका. Show all posts
Showing posts with label जंगल का सलीका. Show all posts
Tuesday, September 21, 2010

जंगल का सलीका

›
मेरे एक सवाल पर बौखलाकर उसने सौ सवालों के जवाब ही दे डाले .. अकेले चने ने भांड फोड़ा क्योकि उसने ये कहावत नहीं पढ़ी होगी उसने तेवर दिखाए विर...
›
Home
View web version

About Me

My photo
Tarun / तरुण / தருண்
View my complete profile
Powered by Blogger.