Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Thursday, March 3, 2011

हमारी भी गिनती हो गयी !

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हरिया खुश घरवाली खुश चलो हमारी भी गिनती हो गयी टीचर पस्त कर्मचारी त्रस्त अब बेगारों में इनकी भी गिनती हो गयी सरकार मस्त तेज है गस्त चलों ये ...
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