Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Monday, October 11, 2010

आयाम से परे ...हम - तुम !

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आयाम से परे ...हम - तुम ! मेरी सीमाएं मुझे बांधती है तुमसे और तुम्हे लगता है कि मैं तुम्हारी सीमाओं में बंध सकूंगा किसी तरह कभी तुम्हारा यही...
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