Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Thursday, October 14, 2010

तिलिस्मों के देश में

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तिलिस्मों के देश में अब तक बस तिलिस्म ही बुने गए है नींद और ख्वाब जो आजकल मुफ्त मिलते है बाटे जाते है रोटी से सस्ती कीमत पर थोक की थोक टीवी ...
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Tarun / तरुण / தருண்
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