Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Thursday, August 26, 2010

दुश्मन तेरा शुक्रिया !

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आज बहुत दिनों बाद फिर चेतना लौटी है मैं भी लौटा हू चेतना में बेसुध बहुत लड़ा अँधेरे की बंदिशों से विश्वास और श्रद्धा की खडग भी छूटने लगी थी...
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