Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Thursday, February 9, 2012

देस

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जहां मेरे नाम भी  एक जमीन हो  जिस पर  चला सकूँ हल  बो सकूँ  सपनों के बीज  जहां  सावन  तकादे ना कराये  ना ही  बिन...
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