Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Wednesday, February 1, 2012

धीरे धीरे

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धीरे धीरे  सब बदलता है  वक्त भी  समाज भी  व्यक्ति भी  साधन  और  साध्य भी  मगर  सोच ... नहीं ! कुछ तो चाहिए  ...
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