Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

Showing posts with label नारी होने की परिभाषा. Show all posts
Showing posts with label नारी होने की परिभाषा. Show all posts
Wednesday, September 15, 2010

"नारी" होने की परिभाषा ...

›
वो ना कल मोहताज थी ना आज है मुफलिस किसी मर्द ने ही बेचे ख़रीदे होंगे उसके जेवर उसका बदन फिर उसके बचे खुचे वजूद को मिटाने के लिए ये चाल भी खू...
4 comments:
›
Home
View web version

About Me

My photo
Tarun / तरुण / தருண்
View my complete profile
Powered by Blogger.