Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Sunday, December 26, 2010

पताकाएं

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आकाश छूती लहराती इठलाती शिखर पर आच्छादित है मुखर है आह्लादित भी मानो वही चरम हो समस्त उत्कर्ष का वैभव का संकल्प का नीचे पड़ी है पुरानी पताका...
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