Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Tuesday, April 20, 2010

फिर कोई नयी बात

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लो फिर एक "डेडलाइन", एक और फिर कतार में , हर खबर खड़ी है , जैसे , किसी इन्तेजार में | कि कई और भी बातें , कई और भी चेहरे, सुने हुवे...
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