Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Thursday, June 3, 2010

बादल कब बरसोगे ?

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बादल कब बरसोगे ? अभी ! या बुवाई के बाद !! देखो तुम वैसा मत करना जैसा सब करते है सामने से गुजरते है मगर मिलते नहीं पिछले सावन ले गए थे सुख चै...
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