Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Thursday, April 7, 2011

भागो अन्ना आता है !

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भूखे पेट सोये देश की खोखली बंजर जमीन के नीचे चूहों ने बिल बनाये थे कुछ तो यही पैदा हुवे कुछ बाहर से आये थे | खाकर दाना पानी अब बीज पर नजर थी...
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