Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Thursday, April 14, 2011

"मनमोहन" तू कोई इत्तेफाक लगता है रे

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इत्तेफाक नहीं लगते एक मुझे उसके आंसू और बेबसी | उसका दर्द , मुफलिसी  बस तुम्हे इत्तेफाक लगता है || तमाम दुश्वारियों का तुझसे नाता बस इत्ते...
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