Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Wednesday, July 28, 2010

मार्केटिंग

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थोड़ा श्रम बहुत सी शर्म और सारी इंसानियत को बुझे हुवे आत्मविश्वास की राख में लपेट कर बेचने की कला है "मार्केटिंग " "उत्तरदायि...
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