Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Thursday, January 19, 2012

मिटटी में खेलता बचपन

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खो ना जाए मिटटी ही में  उसे पनपने दोगे ना ! अपने भागते जीवन में  उसे भी जगह दोगे ना ! कुचल तो नहीं दोगे ? अंधी दौड़ मे...
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