Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Monday, June 21, 2010

मेरी अपनी एक डगर है

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कोई साथ चले ना चले मुझे भीड़ से क्या लेना | मेरी अपनी एक डगर है मुझे भीड़ से क्या लेना || भीड़ मिटा देती स्व को | भीड़ बड़ा देती भव को | मै ...
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