Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Tuesday, December 21, 2010

मोक्ष की शतरंज

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एक प्यादा पडा था उपेक्षित कुछ टूटे खिलौनों के पास दोस्त ने उठाया पूछा होकर उदास क्यों मित्र तुम तो बुद्धिजीवी हो भावनाओं से ऊपर क्या कोई व्य...
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