Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Tuesday, April 12, 2011

राष्ट्र देवो भव:

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ये ध्वज  ये भूमि  सब अपने  इस राष्ट्र देव में  समाहित है  जाती से  वर्णों से  ऊपर  कहीं  सब धर्मों को  समेटे  एक आँगन में  धूप छाव सा  शह...
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