Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Monday, September 27, 2010

लोकतंत्र बनाम जवाबदारी

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वो तो चाहते है के मै लडू तुमसे और वो जीत जाए उनका काहिलपन उनकी लाचारी कैसे भी छुप जाए चाहे मंदिर जले मंदिर टूटे अस्मते लूटे या गिरे लाशें ...
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