Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Tuesday, May 3, 2011

वादा रहा जिंदगी !

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बहुत बैचैन हूँ  बेसब्र हूँ  कुछ कह ना बैठूं  कर ना जाऊं  ऐसा  कि  पछताना पड़े  मुझे  और  मेरे अपनो को  बहुत अरमां  संजोये है  जिंदगी  तेरे...
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