Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Saturday, February 13, 2010

स्वयं से

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तुम संकल्प हो , श्रष्टा हो स्वयं , स्वयं ही खोजते हो स्वयं को स्वयं में , क्या हो प्रभो ! जगन्नाथ हो जगदीश्वर हो दाता तुम्ही हो स्वयं से माँ...
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