Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Tuesday, January 9, 2024

हे माँ हिंदी भावभरी !

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हिंदी का मान हमसे है ! हिंद का अभिमान है, हिंदी | इतनी सी आस और है बंधू विश्वभाल दमके ये बिंदी || अपनी भाषा अपना गौरव , जाने कब के भूले तुम...
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Tarun / तरुण / தருண்
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