Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Friday, April 21, 2023

अक्षत

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अक्षत  कुछ पुष्प  और  अक्षत के  दानो से  रीझ जाते है  देवों के अराध्य  ऐसा  क्या है  कि अक्षत के  आधे ही  दाने से  तृप्त  हो जाती है वसुंधर...
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