Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Sunday, January 30, 2011

हे राम ! ये हरी पत्ती , लाल पत्ती ! !!

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तुम राम कह कर गए कुछ काम भी कहा तो था ... मगर तुम्हारी तस्वीरों से तिजोरिया भरते भरते तुम्हारे आदर्शों जीवन मूल्यों को भी बेच दिया हमने महंग...
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