Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Tuesday, December 27, 2022

बाबू अब तुम बड़े हो गए !

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  अपने बेटे को उसके बीसवे जन्मदिवस पर प्यार भरी सीख , ढेरो स्नेह और आशीर्वाद   के साथ !   बाबू अब तुम बड़े हो गए जिम्मेदारी समझोगे ! अपन...
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Tarun / तरुण / தருண்
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