Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Monday, February 14, 2011

दिव्य प्रेम एक ही है, "श्री राधेकृष्ण" का

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| प्रेम को प्रेम ही कहे तो दुराग्रह और क्लिष्टता का शमन होता है , भ्रान्ति भी नहीं रहती | "प्रेम" के आरम्भ में बड़ी सुन्दर प्रतीति...
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Tarun / तरुण / தருண்
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