Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Sunday, February 28, 2021

हर हर !! महाशिव हरे हरे !!!

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   नहीं जानता मैं समय की सीमाएँ समय जानता है सबकुछ तय करता बदलता सबकी / सारी / सांझी परिसीमाएँ बदल बदल बहुत बदल सको तो भी बस बदल सकोगे कालां...
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Tuesday, March 8, 2011

हमार गुजारिस !

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सोचा चलो एक याचिका हम भी डाल आते है क्या है ना कि यहाँ के जज हमारे मौसा है तो साहब डाल दिए अर्जी कि इच्छा मृत्यु चाहिए बुलाये गए कोर्ट मा दु...
3 comments:
Thursday, February 24, 2011

सोचता हूँ

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सब ऐसा ही क्यों है बदलता है तो बदलता क्यों है जो थमा है बदलता क्यों नहीं है अजीब सी तंद्रा उदासी है चहु ओर छाई है जो हर बदलाव की खबर भर से ब...
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Tarun / तरुण / தருண்
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