Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Sunday, August 7, 2022

भटकने लगे है लोग

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एक गरम साँस  होठों के आगे ,  कानों के पीछे  एक  ठंडी फूंक की ख़ातिर  बिकने लगे है लोग  कितने ऊपर  और चढ़ेंगे अपने ही  अगणित ...
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Tarun / तरुण / தருண்
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