Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Thursday, February 3, 2011

आज से , अभी से...यही से |

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इस देश को एक झंडे एक नक़्शे एक भाषा और एक भाव में देखना असंभव है | जब तक कोई आक्रमण ना हो विजय ना हो | युद्ध ही मात्र विकल्प है यदि तो युद्ध...
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