Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

Showing posts with label Shahid_Diwas. Show all posts
Showing posts with label Shahid_Diwas. Show all posts
Monday, January 30, 2023

तुम्हारी बाँ !

›
  आज फिर तुमसे दुःख अपने कुछ टूटे सपने  बाँट रही हूँ  बोया था एक बीज तुमने उसके विकसित कल्प तरु से थोड़े काँटे कुसंग कीट को सहला समझा  कर छा...
10 comments:
›
Home
View web version

About Me

My photo
Tarun / तरुण / தருண்
View my complete profile
Powered by Blogger.