Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Wednesday, January 11, 2023

नरेन्द्र ही बनते है विवेकानंद बिरले !

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स्खलित होता , कुंठित , ढोता अपेक्षाएं, सहता उपेक्षाए ! प्रवंचना...   दू:साहस  और  स्वप्न के बीच  भ्रम को  ब्रह्...
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