Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Monday, March 7, 2011

ख़रीदे टिकट का दरद देखिये !

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ट्रेन के डिब्बे में गपशप थी चालू सभी खा रहे थे समोसे बिना आलू प्रधान जी बोले अरे भोले रेलवे का भी बड़ा बुरा हाल है लगता था पहले लालू की ससुर...
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Friday, January 14, 2011

बसंत गुमनाम है !

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उसे सब बसंत कहते है , अपनी पसंद भरते है , उसकी बाते भी करते है , इंतज़ार करते है , इसरार भी मगर कोई उससे नहीं पूछता कि क्यों बसंत उदास रहता ...
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