Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Monday, March 7, 2011

ख़रीदे टिकट का दरद देखिये !

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ट्रेन के डिब्बे में गपशप थी चालू सभी खा रहे थे समोसे बिना आलू प्रधान जी बोले अरे भोले रेलवे का भी बड़ा बुरा हाल है लगता था पहले लालू की ससुर...
1 comment:
Thursday, February 24, 2011

सोचता हूँ

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सब ऐसा ही क्यों है बदलता है तो बदलता क्यों है जो थमा है बदलता क्यों नहीं है अजीब सी तंद्रा उदासी है चहु ओर छाई है जो हर बदलाव की खबर भर से ब...
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