Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

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Wednesday, January 25, 2023

सखी आयो , अबके ...बासंती गणतंत्र !

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    सखी आयो , फिर छायो, गदरायो , देख बसंत ! मनभावन , अति पावन , जन गण धन भरी लायो , अबके , नेक बसंत ! सखी आयो , मन भायो , बौरायो , देख बसंत...
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Tarun / तरुण / தருண்
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