Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

Tuesday, January 19, 2010

ध्येय

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ध्येय संकटों की काली छाया के उस पार उम्मीदों के क्षितिज पर ये लालिमा देखों संकेत है की नियति रच रही है तुम्हे रिझाने मनाने के नए अध्याय की अ...
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