Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

Monday, June 28, 2010

थूंक के छींटे ..अगली पीढ़ी तक !

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उसने जब सड़क पर थूका बेलिहाज बेअदब शायद बेसबब नहीं था | रोज सैकड़ो हजारों की ये हरकत जिसमे कुछ अजब नहीं था , खटकी थी अटकी थी चंद निगाहों में...
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Sunday, June 27, 2010

क्रान्ति !!! , कब ????

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क्रान्ति के पूर्व होती है छटपटाहट भीतर कही कोने में नक्कारखाने में तूती की तरह जैसे रात के अँधेरे में करते हो शोर ढेर सारे झींगुर मगर ... क्...
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Monday, June 21, 2010

मेरी अपनी एक डगर है

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कोई साथ चले ना चले मुझे भीड़ से क्या लेना | मेरी अपनी एक डगर है मुझे भीड़ से क्या लेना || भीड़ मिटा देती स्व को | भीड़ बड़ा देती भव को | मै ...
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Friday, June 18, 2010

याद है मुझे कब पिछली बार हँसी थी वो

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याद है मुझे कब पिछली बार हँसी थी वो , मेरी ही किसी बात पर बहुत हँसी थी वो | जाने तब क्या सोच कर बहुत हँसी थी वो ... खैर जो भी हो मगर क्या खू...

गाँधी

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गाँधी , एक शब्द है , जिसमे आत्मा भी है | गांधी ... एक विचार भर नहीं है | एक समस्या बन गया है ! उनके लिए , जिन्हों ने , सहज ही साध रक्खे है ...
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अकल बड़ी कि भैस बड़ी ?

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अकल बड़ी कि भैस बड़ी ? इसी सोच में अकल पड़ी भैस खडी पगुराएगी अकल कि चल ना पाएगी सींग उठाए भैस खडी पूंछ उठाए भैंस खडी गोबर देगी या दूध...
Wednesday, June 16, 2010

आपस की बात Day 1

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दिल तो है दिल दिल तो पागल है दिल ही तो है ये दिल ना होता बेचारा आदि ना जाने कितने जुमलो से सताया दिल को फिर दिल टूट गया एक दिन तो रोना लेकर ...
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