Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

Wednesday, July 28, 2010

मार्केटिंग

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थोड़ा श्रम बहुत सी शर्म और सारी इंसानियत को बुझे हुवे आत्मविश्वास की राख में लपेट कर बेचने की कला है "मार्केटिंग " "उत्तरदायि...
Saturday, July 3, 2010

सच की बोली !

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आज प्रेरणा चाहिए मुझे भी और समय को भी संचित सभी चुके विवेक और रच चुके चूहें इतिहास | ठिठोली बन गया ज्ञान का जरिया उपकरण सारे झुनझुने बन समझ ...
Thursday, July 1, 2010

सरस्वती-पुत्र, एक विडम्बना !

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ये वक़्त भी गुजर जाएगा फिर नया कोई दौर आयेगा | तब लिखूंगा कविता देशकाल और समाज पर मिल जाए पुरस्कार , कुछ राशि , रोयल्टी ...वगैरह | बिटिया का...
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Monday, June 28, 2010

थूंक के छींटे ..अगली पीढ़ी तक !

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उसने जब सड़क पर थूका बेलिहाज बेअदब शायद बेसबब नहीं था | रोज सैकड़ो हजारों की ये हरकत जिसमे कुछ अजब नहीं था , खटकी थी अटकी थी चंद निगाहों में...
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Sunday, June 27, 2010

क्रान्ति !!! , कब ????

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क्रान्ति के पूर्व होती है छटपटाहट भीतर कही कोने में नक्कारखाने में तूती की तरह जैसे रात के अँधेरे में करते हो शोर ढेर सारे झींगुर मगर ... क्...
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Monday, June 21, 2010

मेरी अपनी एक डगर है

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कोई साथ चले ना चले मुझे भीड़ से क्या लेना | मेरी अपनी एक डगर है मुझे भीड़ से क्या लेना || भीड़ मिटा देती स्व को | भीड़ बड़ा देती भव को | मै ...
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Friday, June 18, 2010

याद है मुझे कब पिछली बार हँसी थी वो

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याद है मुझे कब पिछली बार हँसी थी वो , मेरी ही किसी बात पर बहुत हँसी थी वो | जाने तब क्या सोच कर बहुत हँसी थी वो ... खैर जो भी हो मगर क्या खू...
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