Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."

फिर कोई लोभ का रावण , साधू सा वेश धर वोट मांगता है | शहीदों ने खिंची थी जो लक्ष्मण रेखा वो फिर लहू मांगती है || Tarun Kumar Thakur,Indore (M P) "मेरा यह मानना है कि, कवि अपनी कविता का प्रथम पाठक/श्रोता मात्र होता है |"

Thursday, August 26, 2010

दुश्मन तेरा शुक्रिया !

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आज बहुत दिनों बाद फिर चेतना लौटी है मैं भी लौटा हू चेतना में बेसुध बहुत लड़ा अँधेरे की बंदिशों से विश्वास और श्रद्धा की खडग भी छूटने लगी थी...
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Monday, August 23, 2010

जीवन की पाठशाला में

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क्रोध की सीमा और मर्यादाओं के भंग तक रोज तमाशों से गुजरता हु भोगता हूँ अपने ही उपेक्षित व्यवहार से उपजी वित्रश्ना और दुर्व्यवहार को | सीखता...
Monday, August 16, 2010

१६ अगस्त मनाओ

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१६ अगस्त मनाओ आज थोड़ा सड़को पर निकल जाओ जहा से कल हुजूम निकला था तथाकथित देशभक्तों का सड़क के किनारे पड़े , नाली में झंडे उठाओ (अगर कर सको...
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Sunday, August 15, 2010

आज

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आज सिर्फ उनको नमन करो आज बस उनकी बात करो आज शिकायते ना करो आंसू भी ना बहाओ दो फूल श्रद्धा के हाथों में उठाओं उस ध्वज पर चढाओ जो छत्र बन तना ...
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ओ भारत माता !!

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रोज सवेरे पूरब तेरे सूरज नमन को आता तू है मेरी जन्म भूमि माँ तू हम सब की माता मेरी भारत माता , ओ मेरी भारत माता ! भारत माता , ओ भारत माता !!...
Thursday, August 12, 2010

जब तुम घर नहीं होती

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मेरा मन भी बैचैन रहता है अस्थिर भटकता हूँ जगत में मन के सुने वन में अजीब से ख्यालों से जूझता हुवा इन्तेजार करता हु प्रिये! के कब तुम्हे लौटा...
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Tuesday, August 3, 2010

वो....शिखर !

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जब मैंने पहाड़ पर चढ़ने के लिए सीढिया बनाना शुरू ही की थी उन्हें लगा मुझे मदद चाहिए होगी फिर वो मेरी जिंदगी में आयी कई वादों और नेक इरादे के...
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